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Ghat ti Hui Oxygen | Manglesh Dabral
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Ghat ti Hui Oxygen | Manglesh Dabral

00:04:31
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घटती हुई ऑक्सीजन | मंगलेश डबरालअकसर पढ़ने में आता हैदुनिया में ऑक्सीजन कम हो रही है।कभी ऐन सामने दिखाई दे जाता है कि वह कितनी तेज़ी से घट रही हैरास्तों पर चलता हूँ खाना खाता हूँ पढ़ता हूँ सोकर उठता हूँ एक लम्बी जम्हाई आती हैजैसे ही किसी बन्द वातानुकूलित जगह में बैठता हूँ।उबासी का एक झोका भीतर से बाहर आता हैएक ताक़तवर आदमी के पास जाता  हूँ तो तत्काल ऑक्सीजन की ज़रूरत महसूस होती हैबढ़ रहे हैं नाइट्रोजन सल्फ़र कार्बन के ऑक्साइड और हवा में झूलते हुए चमकदार और ख़तरनाक कणबढ़ रही है घृणा दमन प्रतिशोध और कुछ चालू किस्म की ख़ुशियाँचारों ओर गर्मी स्प्रे की बोतलें और ख़ुशबूदार फुहारें बढ़ रही हैं।अस्पतालों में दिखाई देते हैं ऑक्सीजन से भरे हुए सिलिंडरनीमहोशी में डूबते-उतराते मरीज़ों के मुँह पर लगे हुए मास्कऔर उनके पानी में बुलबुले बनाती हुई थोड़ी-सी प्राणवायुऐसी जगहों की तादाद बढ़ रही हैजहाँ साँस लेना मेहनत का काम लगता हैदूरियों कम हो रही हैं लेकिन उनके बीच निर्वात बढ़ते जा रहे हैंहर चीज़ ने अपना एक दड़बा बना लिया हैहर आदमी अपने दड़बे में क़ैद हो गया हैस्वर्ग तक उठे हुए चार-पाँच-सात सितारा मकानात चौतरफ़ामहाशक्तियाँ एक लात मारती हैंऔर आसमान का एक टुकड़ा गिर पड़ता हैग़रीबों ने भी बन्द कर लिये हैं अपनी झोपड़ियों के द्वारउनकी छतें गिरने-गिरने को हैंउनके भीतर की ऑक्सीजन वहाँ दबने जा रही है।आबोहवा की फ़िक्र में आलीशान जहाज़ों में बैठे हुए लोगजा रहे हैं एक देश से दूसरे देशऐसे में मुझे थोड़ी ऑक्सीजन चाहिएवह कहाँ मिलेगीपहाड़ तो मैं बहुत पहले छोड़ आया हूँऔर वहाँ भी वह सिर्फ़ कुछ ढलानों-घाटियों के आसपास घूम रही होगी जगह-जगह प्राणवायु के माँगनेवाले बढ़ रहे हैंउन्हें बेचनेवाले सौदागरों की तादाद बढ़ रही हैभाषा में ऑक्सीजन लगातार घट रही हैउखड़ रही है शब्दों की साँस ।

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