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Jeevan Bacha Hai Abhi | Shalabh Shriram Singh
Jeevan Bacha Hai Abhi | Shalabh Shriram Singh

Jeevan Bacha Hai Abhi | Shalabh Shriram Singh

00:01:45
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जीवन बचा है अभी | शलभ श्रीराम सिंह जीवन बचा है अभीज़मीन के भीतर नमी बरक़रार हैबरकरार है पत्थर के भीतर आगहरापन जड़ों के अन्दर साँस ले रहा है!जीवन बचा है अभीरोशनी खाकर भी हरकत में हैं पुतलियाँदिमाग सोच रहा है जीवन के बारे मेंख़ून दिल तक पहुँचने की कोशिश में है!जीवन बचा है अभीसूख गए फूल के आसपास है ख़ुशबूआदमी को छोड़कर भागे नहीं हैं सपनेभाषा शिशुओं के मुँह में आकार ले रही है!जीवन बचा है अभी!

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