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Ishwar Ke Bacche | Alok Azad
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Ishwar Ke Bacche | Alok Azad

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ईश्वर के बच्चे | आलोक आज़ाद क्या आपनेईश्वर के बच्चों को देखा है?ये अक्सरसीरिया और अफ्रीका के खुले मैदानों मेंधरती से क्षितिज की औरदौड़ लगा रहे होते हैंये अपनी माँ की कोख से ही मज़दूर है।और अपने पिता के पहले स्पर्श से ही युद्धरत है।ये किसी चमत्कार की तरहयुद्ध में गिराए जा रहेखाने के थैलों के पास प्रकट हो जाते हैं।और किसी चमत्कार की तरह ही अट्श्य हो जाते हैं।ये संसद और देवताओं केसामूहिक मंथन से निकली हुई संताने हैं।जो ईश्वर के हवाले कर दी गई हैं।ईश्वर की संतानों को जब भुख लगती है।तो ये आस्था से सर उठा करऊपर आकाश में देखते हैं।और पश्चिम से आए देव-दूर्तों के हाथों मारे जाते हैंईश्वर की संतानेउसे बहुत प्रिय हैं।वो उनकी अस्थियों पर लोकतंत्र केनए शिल्प रचता हैऔर उनके लह से जगमगाते बाज़ारों में रंग भरता हैमैं अक्सरजब पश्चिम की शोख़ चमकती रात कोऔर उसके उगते सुरज के रंग को देखता हूँमुझे उसका रंग इसानी लहू-साखालिस लाल दिखाई देता है।

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